
पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री डॉ सुकांता मजूमदार एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की संयुक्त प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी ममता बनर्जी सरकार की सच्चाई उजागर कर दी है।
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि इस केस में जो सिलेक्शन प्रोसेस है, वह पूरी तरह से भ्रष्ट है, फ्रॉड है, धोखाधड़ी है। इसमें विश्वसनीयता की धज्जियां उड़ाई गई हैं। यह धज्जियां ममता बनर्जी और उनकी सरकार की विश्वसनीयता की उड़ी हैं - संबित पात्रा
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जाकर ममता बनर्जी ने कहा कि मैं ‘टाइग्रेस’ हूं, लेकिन कोई टाइग्रेस कभी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होती। कोई टाइग्रेस अपने ही बच्चों का भक्षण नहीं करती - संबित पात्रा
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किसी अन्य मुख्यमंत्री के लिए यदि कोई डिस्ट्रिक्ट कोर्ट भी ऐसा कह देती, तो हंगामा मच जाता। राहुल गांधी संसद में आकर कहते कि लोकतंत्र खत्म हो गया है - संबित पात्रा
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'माँ, माटी, मानुष' की बात करने वाली ममता बनर्जी को लगातार सामने आए इन बड़े घोटालों के बाद नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा देना चाहिए - संबित पात्रा
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ममता बनर्जी अब किसी न किसी प्रकार से बंगाल में सांप्रदायिक तनाव या भय का माहौल पैदा करेंगी ताकि इस घोटाले से जनता का ध्यान भटकाया जा सके - संबित पात्रा
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जहां भी इंडी गठबंधन के लोग हैं वहां सारे भ्रष्टाचारी मिलकर जाँच एजेंसियों का प्रवेश करने रोकते हैं। इंडी गठबंधन शासित कर्नाटक और बंगाल में सीबीआई को घुसने नहीं दिया जाता क्योंकि वहां ये डाका डालेंगे, चोरी करेंगे और चोरी सीना जोरी के दम पर करेंगे - संबित पात्रा
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ममता बनर्जी की घोटालेबाजी और घपलेबाजी से 26000 शिक्षकों का घर बर्बाद हो रहा है। ममता बनर्जी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसी भी आधार पर मानने से इन्कार करना पूरी तरह तानाशाही और हिटलरशाही है - संबित पात्रा
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पार्थ चटर्जी ने अपनी हैंडराइटिंग से लिखा है कि ‘ममता बनर्जी, अमार गार्डियन’। यानी उनके पथ प्रदर्शक ममता बनर्जी थी। जो पथप्रदर्शक है, मार्गदर्शक है, जिसके कहने पर उन्होंने ये घोटाले किए, वो पार्थ चटर्जी जेल के अंदर है, तो दीदी जेल के अंदर क्यों नहीं - संबित पात्रा
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बंगाल में सदैव शिक्षक समुदाय को विशेष सम्मान प्राप्त रहा है, लेकिन ममता बनर्जी की नीतियों ने इस गरिमा को गहरी ठेस पहुँचाई है - संबित पात्रा
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पश्चिम बंगाल में जो भी खरीदना हो खरीदा जा सकता है, बस पैसा देना पड़ता है। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल को एक शॉपिंग मॉल बना दिया है - सुकांता मजूमदार
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ममता बनर्जी को अब सत्ता से छोड़ देना चाहिए। अगर वे खुद कुर्सी छोड़ दें, तो बेहतर होगा, वरना जनता उन्हें सत्ता से हटा देगी - सुकांता मजूमदार
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ममता बनर्जी ने अपने बयानों में सुप्रीम कोर्ट जैसे सर्वोच्च संस्थान की गरिमा को ठेस पहुँचाई, जो कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है - सुकांता मजूमदार
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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला इसी तरह के शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल गए थे। भारत के इतिहास में ममता बनर्जी दूसरी मुख्यमंत्री हो सकती हैं, जिन्हें शिक्षक घोटाले में जेल जाना पड़ेगा। - सुकांता मजूमदार
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पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री डॉ सुकांता मजूमदार और भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. संबित पात्रा ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बंगाल में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को खारिज करने व कोर्ट के निर्णय का विरोध करने को लेकर पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जमकर आलोचना की। डॉ. पात्रा ने नैतिकता के आधार पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि टीएमसी प्रमुख एवं सीएम ममता बनर्जी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसी भी आधार पर मानने से इन्कार करना पूरी तरह तानाशाही और हिटलरशाही है।
डॉ. पात्रा ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में ऐतिहासिक निर्णय लिए जा रहे हैं और रात भर संसद चल रही है। वहीँ, पश्चिम बंगाल का भ्रष्टाचार, बंगाल में दीदी की दादागिरी आज पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व में भी लोग देख रहे हैं। हाल ही में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जाकर ममता बनर्जी ने कहा कि मैं ‘टाइग्रेस’ हूं, लेकिन कोई टाइग्रेस कभी भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होती। कोई टाइग्रेस अपने ही बच्चों का भक्षण नहीं करती, जो वास्तविक नेता होता है, वो कभी भ्रष्टाचार करके अपने ही लोगों को नारकीय किवं जीने के लिए विवश नहीं कराती है। ममता बनर्जी और उनकी सरकार ने पश्चिम बंगाल में जिस प्रकार से भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है, आज लाखों लोगों पर उसकी गाज गिर रही है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2016 से 2021 के बीच हुए स्कूल भर्ती घोटाले पर टिप्पणी की है। पश्चिम बंगाल में विज्ञापन के माध्यम से निकली टीचर और नॉन-टीचिंग स्टाफ की पोस्ट पर लगभग 23 से 24 लाख एप्लिकेंट्स ने आवेदन किया था। 2016 से 2021 के बीच लगभग 25,780 से अधिक टीचर और नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति की गई थी। उसमें इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था कि इस विषय को लेकर कई लोग कोर्ट में गए और उस समय बंगाल में इसे “ब्राइब फॉर जॉब स्कैम/ नौकरी के लिए रिश्वत घोटाला” और स्कूल भर्ती घोटाले के नाम से जाना गया। 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक स्पष्ट निर्णय देते हुए कहा कि यह जो 25,780 नियुक्तियां हुई हैं, यह भर्ती प्रक्रिया दोषपूर्ण है और भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। पैसे लेकर गलत तरीकों से ओएमआर शीट को नष्ट कर दिया गया, ताकि यह पता न चले कि कौन सही है और कौन गलत। ताकि, जो सबसे नीचे के पायदान पर था, उस उम्मीदवार को ऊपर लाकर उच्च रैंक में स्थापित किया जा सके। जो टॉपर नहीं था, उसे टॉपर बना दिया गया। जिसने परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की, जिसने ओएमआर शीट में किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया, उसे भी पैसे के बल पर नियुक्ति पत्र दे दी गई।
डॉ. पात्रा ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि इसे खारिज किया जाए और दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए और इस मामले में सीबीआई जांच हो। उस समय सीएम ममता बनर्जी और उनके साथियों ने सीबीआई और ईडी के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी की। प्रयास किया गया कि सीबीआई राज्य में प्रवेश न कर सके। जहां भी इंडी गठबंधन के पार्टियों की प्रदेश सरकार हैं वहां सारे भ्रष्टाचारी मिलकर जाँच एजेंसियों का अपने प्रदेश में प्रवेश करने से रोकते हैं। ये कर्नाटक में सीबीआई को घुसने नहीं देंगे, पश्चिम बंगाल में सीबीआई को घुसने नहीं देंगे। जहां कांग्रेस शासित राज्य या इंडी गठबंधन के लोग हैं, वहां सीबीआई नहीं घुसेगी। क्यों नहीं घुसेगी? क्योंकि वहां ये डाका डालेंगे, चोरी करेंगे और यह चोरी सीना जोरी के दम पर होगी। कोई उन्हें पकड़ने की हिम्मत नहीं करेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने अपना आखिरी फैसला सुनाया, जब हाईकोर्ट ने ये फैसला दिया था, तब सुप्रीम कोर्ट में 126 अप्लिकेंट अपनी ऐप्लिकेशन दायर करने के गए थे कि हाईकोर्ट के इस फैसले को खारिज किया जाए। उनमें से एक अप्लिकेंट वेस्ट बंगाल की सरकार भी थी। ममता सरकार का कहना था कि हाईकोर्ट गलत बोल रहा है। ये कोर्ट हमारे एजुकेशन सिस्टम को ध्वस्त करना चाहता है, तो कोर्ट के इस फरमान को खारिज कर दिया जाए।” सुप्रीम कोर्ट ने उस समय स्टे ऑर्डर दिया। इसके बाद इस मामले में पुरी जांच हुई और कल सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार दोनों ने अपना फैसला सुनाया। आदेश के एक अंश में कहा गया है कि हमने इस केस के तथ्यों को जांच की है, जो सिलेक्शन प्रोसेस है, वह पूरी तरह से भ्रष्ट है, फ्रॉड है और धोखाधड़ी है। विश्वसनीयता की धज्जियां उड़ गई हैं। किसकी विश्वसनीयता की धज्जियां उड़ी हैं? ममता बनर्जी की सरकार की, वेस्ट बंगाल की सरकार और वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की क्रेडिबिलिटी और उनकी लेजिटिमेसी की धज्जियां उड़ गई हैं। यह भारतीय जनता पार्टी नहीं, सुप्रीम कोर्ट कह रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई कारण नहीं है कि हाईकोर्ट का जो जजमेंट है, उसमें कोई हस्तक्षेप की जाए। हाईकोर्ट ने ठीक कहा कि उम्मीदवारों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। 23 से 24 लाख युवकों ने, युवतियों ने दिन-रात पढ़ाई करके एप्लिकेशन भरी कि हम टीचर बनेंगे, नॉन-टीचिंग स्टाफ में जाएंगे, हमारा जीवन आगे बढ़ेगा। लेकिन अंततः उम्मीदवारों से 5 से 15 लाख रुपये तक या उससे भी ज़्यादा पैसे लिए गए हैं, पैसे के दम पर जिनकी भर्ती की गई है, उन्हें टर्मिनेट करना होगा।
डॉ. पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि यह जो भर्ती हुई हैं, यह पूरी तरह से फ्रॉड है, धोखेबाजी से भर्ती की गई है। किसी और मुख्यमंत्री के लिए यदि ऐसे शब्दों का उच्चारण डिस्ट्रिक कोर्ट भी कर देती, तो क्या हंगामा मच जाता। राहुल गांधी पजामा और टीशर्ट पहनकर संसद आ जाते और कहते कि लोकतंत्र खत्म हो गया है, मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करो, मुख्यमंत्री हिटलर है, आज ‘कहां हैं राहुल गांधी? कहां हैं इंडी गठबंधन वाले? ऐसे रिक्रूटमेंट स्कैम्स के लिए हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री जेल गए हैं और दीदी भी जेल जाएंगी। हिंदुस्तान में कानून का शासन है और बंगाल में भाजपा सरकार बनने के बाद ममता बनर्जी पर कारवाई की जाएगी। कानून, नैतिकता और भारत के संविधान के मुताबिक जिन लोगों ने हजारों लाखों लोगों के जीवन को नारकीय बनाया है, उनको दुख दिया है, प्रताड़ना दी है, वो जेल के सलाखों के पीछे भेजे जाएंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि आज कितने लोग रो रहे हैं, कितने शिक्षक रो रहे हैं, उनका घर बर्बाद हो रहा है। अभी लगभग 26,000 लोगों को नौकरियों से निकाले जाएंगे, उनके जीवन पर क्या गुजर रही होगी? क्योंकि ममता बनर्जी ने यह सारी घपलेबाज़ी, घोटालेबाज़ी की है, इसलिए आज लाखों लोग परेशान हैं। भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी से मांग की है कि जिन 25,750 लोगों की तनख्वाह बंद होगी, ममता बनर्जी टीएमसी के फंड से या सीएम रिलीफ फंड से उनका भरण-पोषण करें और उन्हें सैलरी दें। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पश्चात सीएम ममता बनर्जी ने मानवीय पक्ष की बात की, उन्होंने कहा कि ह्यूमेनिटेरियन ग्राउंड पर मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नहीं मानती और मैं यह फैसला खारिज करती हूं। भाजपा का सुप्रीम कोर्ट से भी सविनय निवेदन है कि ऐसे विषयों पर स्वतः संज्ञान लें और ममता बनर्जी व तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट के तहत मामला चलाए जाए। क्या किसी मुख्यमंत्री की ऐसी हिम्मत हो सकती है कि वो सुप्रीम कोर्ट के लिए कहे कि ‘हम सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को नहीं मानेंगे’? यह होती है तानाशाही, यह होती है हिटलरशाही, जब कोई व्यक्ति उठकर कह दे कि ‘मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानती, मैं सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को नहीं मानूँगी।’
डॉ. पात्रा ने कहा कि सीएम ममता बनर्जी की इस तालिबानी तानाशाही वाले शासन के खिलाफ आज पश्चिम बंगाल की जनता को एकजुट होने की आवश्यकता है। जब पार्थ चटर्जी 2022 में गिरफ्तार हुए थे, उस समय वह राज्य के शिक्षा मंत्री थे और राज्य के शिक्षा मंत्री के साथ-साथ कौन-कौन गिरफ्तार हुआ था? विधायक मानिक भट्टाचार्य, विधायक जीवन कृष्ण शाह, टीएमसीनेता शांतनु कुंडू, कुंतोल घोष और इस मामलें में मुख्य भूमिका में थे पार्थ चटर्जी। चटर्जी ने अपने अरेस्ट मेमो में लिखा है ‘आपके अभिभावक और आपके रिश्तेदार’, जिसके कहने पर आप काम करते हैं। पार्थ चटर्जी ने अपनी हैंडराइटिंग से लिखा है कि ‘ममता बनर्जी, अमार गार्डियन’। यानी पथ प्रदर्शक ममता बनर्जी थी। जो पथप्रदर्शक है, मार्गदर्शक है, जिसके कहने पर उन्होंने ये घोटाला किया, वो पार्थ चटर्जी जेल के अंदर है, तो दीदी जेल के अंदर क्यों नहीं हैं?
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने पार्थ चटर्जी की एक तस्वीर दिखाई, जिसमें पार्थ चटर्जी के साथ एक महिला खड़ी हैं, जिनका नाम अर्पिता मुखर्जी है। अर्पिता मुखर्जी उनकी एसोसिएट थीं और दो बार रेड के दौरान अर्पिता मुखर्जी के घर से ईडी ने कुल ₹49 करोड़ बरामद हुए। डॉ. पात्रा ने पार्थ और ममता बनर्जी की तस्वीर दिखते हुए कहा कि यह मार्गदर्शक से मार्गदर्शनन लिया जा रहा है। पार्थ पूछ रहे हैं कि क्या करना है दीदी? दीदी बोल रही हैं कि सब घोटाला करो और पैसा टीएमसी में जमा करो। जनता की गाढ़ी कमाई का इन्होंने ऐसा हश्र किया है कि हमारे घर में झाड़ू मारेंगे तो इतने कागज नहीं मिलेंगे, जितने इन लोगों के घरों से नोट निकले हैं, जो उन 24 लाख अप्लिकेंट के खून-पसीने की कमाई है। सीएम ममता बनर्जी को अब सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। ममता बनर्जी को कुर्सी छोड़नी होगी।
डॉ. पात्रा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि जो नेता बार-बार 'माँ, माटी, मानुष' की बात करती हैं, जब उनके शासन में एक के बाद एक बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं, तो उन्हें नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफ़ा देना चाहिए। ममता बनर्जी को तुरंत अपने पद से हटना चाहिए क्योंकि उन्होंने लोगों के विश्वास को ठेस पहुँचाई है। जिन लोगों को सरकार द्वारा बर्खास्त किया जा रहा है, उन्हें उनकी तनख्वाह और आर्थिक मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी ममता सरकार की है, क्योंकि यह ग़लती सरकार की नियुक्ति प्रणाली की वजह से हुई है। ममता बनर्जी अब किसी न किसी प्रकार से बंगाल में सांप्रदायिक तनाव या भय का माहौल पैदा करेंगी, ताकि इस घोटाले से जनता का ध्यान भटकाया जा सके और लोग अपनी सुरक्षा में उलझ जाएँ। यह मुद्दा सिर्फ पश्चिम बंगाल का नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की राजनीति और प्रशासन पर सवाल खड़ा किया है। अब जनता जाग चुकी है, और ममता बनर्जी एवं उनकी पार्टी को यह समझ लेना चाहिए कि कुर्सियाँ स्थायी नहीं होतीं, अब कुर्सी खाली करनी पड़ेगी, क्योंकि जनता आ रही है।
पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री डॉ सुकांता मजूमदार ने कहा कि कल जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया, उसके बाद ममता बनर्जी मीडिया के सामने आईं और दोषारोपण का सिलसिला शुरू दी। कभी भाजपा पर, तो कभी सीपीएम के नेताओं पर, यहाँ तक कि न्यायपालिका और माननीय न्यायाधीशों पर भी सवाल उठाए। ममता बनर्जी ने अपने बयानों में सुप्रीम कोर्ट जैसे सर्वोच्च संस्थान की गरिमा को ठेस पहुँचाई, जो कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है। जिन तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने पैसे लेकर नौकरियाँ बेचीं, उन्हें ममता बनर्जी ने बचाया। कैबिनेट की बैठक करके स्कूलों में जहाँ 1,000 शिक्षकों की ज़रूरत थी, वहाँ 1,500 अतिरिक्त पद सिर्फ उन लोगों को बचाने के लिए बनाए गए, जिन्होंने घूस देकर नौकरियाँ पाई थीं। यह एक सोची-समझी रणनीति थी, जिसमें पूरा मंत्रिमंडल शामिल था। भाजपा की माँग है कि जब कैबिनेट बैठक करके घोटालेबाज़ों को बचाने का फैसला लिया गया, तो उस कैबिनेट की मुखिया और सारे सदस्य, जिनके संरक्षण में यह भ्रष्टाचार हुआ, उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए। ये लोग जेल के बाहर रहने के हकदार नहीं हैं, क्योंकि इन्होंने एक संगठित तरीके से चोरों को बचाने का कार्य किया।
डॉ मजूमदार ने आगे कहा कि इस पूरे प्रकरण में लगभग 25,753 नियुक्तियाँ की गई थीं, लेकिन इन सभी में से हर कोई दोषी नहीं है। सभी ने पैसे देकर नौकरी नहीं खरीदी थी। कल जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सैकड़ों शिक्षकों को उनकी नौकरियों से हटाया गया, तो वह दृश्य अत्यंत पीड़ादायक था। यह विषय मेरे दिल के बेहद करीब है, क्योंकि मेरी अपनी पहली नौकरी स्कूल सर्विस कमीशन परीक्षा के माध्यम से ही मिली थी, और मेरी धर्मपत्नी भी इसी परीक्षा को पास कर एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं। पश्चिम बंगाल में सदैव शिक्षक समुदाय को समाज में विशेष सम्मान प्राप्त हुआ है, लेकिन ममता बनर्जी की नीतियों ने इस गरिमा को गहरी ठेस पहुँचाई है। कल जब हमने देखा कि विश्वविद्यालयों के टॉपर्स और गोल्ड मेडलिस्ट आँसू बहा रहे थे, तो यह सवाल खड़ा हुआ कि अब वे अपनी ईएमआई कैसे चुकाएँगे? वे अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे? वे अपने बुज़ुर्ग माता-पिता की दवाइयाँ कैसे ख़रीदेंगे? अगर इस पूरे मामले के लिए किसी को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है, तो वह हैं सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी है।
पश्चिम बंगाल भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि “दूध और पानी को अलग किया जाए।” न्यायालय ने यहाँ तक कहा था कि लगभग पाँच हज़ार लोग ऐसे हैं जिन पर संदेह है कि उन्होंने पैसे देकर नौकरी हासिल की, जबकि शेष अभ्यर्थी पूरी तरह योग्य और ईमानदार हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर यह नौकरी पाई थी। लेकिन ममता बनर्जी को उनके सलाहकारों ने यह सुझाव दिया कि यदि वह खुद को और उन तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को बचाना चाहती हैं, जिन्होंने रिश्वत के रूप में पैसे लिए, तो सबसे सही रास्ता यह है कि दूध और पानी को मिला दिया जाए। जब सबको एक साथ मिला दिया जाएगा, तो न्यायालय के लिए यह पहचानना मुश्किल होगा कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष। तब न्यायालय भी यही कहेगा कि जो हुआ है, उसे यथावत रहने दिया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा "अगर दूध और पानी अलग नहीं किया जा सकता, तो पूरा ही फेंक दो।" यही बात कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कही थी और डिवीजन बेंच ने भी इस निर्णय को बरकरार रखा। अब सुप्रीम कोर्ट ने, भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ के फैसले से, यह साफ कर दिया है कि सीएम ममता बनर्जी की चालाकी अदालत के सामने पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है। लेकिन इस आदेश पर हमारा एक ही सवाल है कि उन 20,000 से अधिक ईमानदार युवाओं का क्या होगा, जिन्होंने पूरी मेहनत, लगन और पारदर्शी तरीके से यह नौकरी हासिल की थी? जिनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन अब उनकी नौकरियाँ छिन रही हैं।
केंद्रीय मंत्री डॉ मजूमदार ने तृणमूल कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि खुलेआम रिश्वत लेकर नौकरियाँ बेचने वाले तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भ्रष्टाचार के पैसों से मॉल और बंगलों की नींव खड़ी कर दी, आज भी खुलेआम घूम रहे हैं और कानून से बचते फिर रहे हैं! क्या यही है न्याय? पश्चिम बंगाल में सबकुछ संभव है, चाहे जो भी खरीदना हो, चाहे टीचर की नौकरी पाना हो, सरकारी पद लेना हो, या नदी से बालू निकालकर बेचना हो, उस भ्रष्टाचार के लिए केवल पैसा देने की जरूरत है। सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल को एक शॉपिंग मॉल बना दिया है। भाजपा मांग करती है कि सरकार संविधान के अनुसार प्रस्तावित व्यवस्था का पालन करे और योग्य लोगों को सहायता राशि टीएमसी फंड या मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जाए। साथ ही, यदि कोई धनराशि तृणमूल कांग्रेस को गई है, तो उसे भी वसूला जाए। यह सिर्फ भाजपा का आरोप नहीं है, बल्कि इसके समर्थन में एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मौजूद है। आपको पता होगा कि पश्चिम बंगाल में एक और मामला चल रहा है, जिसमें ‘कालीघाट का काकू’ नामक व्यक्ति—जीवन कृष्ण भद्र का नाम सामने आया है। एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में बताया गया है कि पार्थो को ₹25 करोड़ रुपए, अभिषेक को ₹20 करोड़ रुपए और मानिक भट्टाचार्य को भी एक बड़ी रकम दी गई। यह ऑडियो इस पूरे भ्रष्टाचार के पैसे के बंटवारे का प्रमाण है। किस टीएमसी के अभिषेक की बात हो रही है यह भी सबको पता है। उन्होंने खुद कहा था, "मेरे खिलाफ़ एक भी सबूत आ जाए या चोरी प्रमाणित हो जाए, तो मैं फांसी के मंच पर खुद को लटका दूंगा।" अब न जाने उन्हें मंच नहीं मिल रहा है या कुछ और बात है। लेकिन यह सच है कि तृणमूल कांग्रेस के शासन में बंगाल में एक के बाद एक घोटाले हुए हैं। अब इस भ्रष्टाचार की सारी हदें पार हो चुकी हैं।
डॉ मजूमदार नेकहा कि ममता बनर्जी को अब सत्ता से छोड़ देना चाहिए। अगर वे खुद कुर्सी छोड़ दें, तो बेहतर होगा, वरना जनता उन्हें सत्ता से हटा देगी। ममता बनर्जी के सत्ता से बाहर जाने का समय अब नजदीक है। भाजपा की पहली माँग है कि मुख्यमंत्री राहत कोष या पार्टी के फंड से योग्य लोगों को मुआवज़ा दिया जाए। दूसरा सुझाव है कि ममता बनर्जी की सरकार के लिए है, करीब 20,000 से अधिक योग्य उम्मीदवारों को न्याय दी जाए। कोर्ट ने कहा है कि वे तीन महीने बाद फिर से परीक्षा दें और अपनी योग्यता साबित करें। लेकिन जो शिक्षक 2016 से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उनके लिए यह कितना अनुचित है। परीक्षा ग्रैजुएट या मास्टर डिग्री स्तर की होती है, जबकि स्कूल स्तर पर कक्षा 11वीं, 12वीं या उससे कमतर कक्षाओं को पढ़ाना होता है। यह पूरी प्रक्रिया शिक्षा व्यवस्था के साथ अन्याय है। अब 2016 से लेकर आज तक जिन शिक्षकों ने पढ़ाया है, वे सभी ऑनर्स, बीए, बीएससी, एमएससी और एमए जैसे विषयों से संबंधित रहे हैं। भाजपा ममता बनर्जी सरकार से मांग की है कि जब ये शिक्षक SSC की परीक्षा में बैठें, जिन्होंने 16 से 25 वर्षों तक पढ़ाने का अनुभव अर्जित किया है, तो उनके प्रत्येक वर्ष के अनुभव के आधार पर अतिरिक्त अंक दिए जाने चाहिए। SSC के नियमों में बदलाव किया जाए और हर साल के अनुभव के लिए अंक निर्धारित किए जाए। हर भर्ती प्रक्रिया में अनुभव का महत्व होता है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति कॉलेज सर्विस कमिशन के लिए आवेदन करता है, तो उससे पूछा जाता है कि उसने कितने वर्षों तक पढ़ाया है और इसके आधार पर उसे अंक दिए जाते हैं। एक शिक्षक के नाते मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह इस दिशा में आवश्यक सुधार करे और शिक्षकों के अनुभव को SSC भर्ती प्रक्रिया में मान्यता प्रदान करें। उन सभी शिक्षकों के प्रति हमारी सहानुभूति है जो योग्य और प्रतिभाशाली हैं, जिन्होंने अपनी नौकरी पैसे देकर नहीं खरीदी, बल्कि ईमानदारी से प्राप्त की है। लेकिन शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय में, जहाँ आम आदमी के बच्चे और बच्चियाँ पढ़ने जाते हैं, वहां किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए। यदि अनुच्छेद 146 या किसी अन्य कानूनी प्रावधान के तहत कोई समाधान संभव हो, तो उसे भी तलाश की जाए, ताकि लगभग 20,000 योग्य शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के भविष्य को पूरी तरह से अंधकारमय बना दिया है। यह सिर्फ शुरुआत है और आठ तारीख को दूसरा मामला खुलने वाला है, यानी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आदेश दिया था, उस पर पुनर्विचार होगा। इसमें यह तय किया जाएगा कि कैबिनेट द्वारा बनाई गई नई पदों की वैधता पर दोबारा सुनवाई हो। भाजपा को भारत की न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है। हमें पूरा भरोसा है कि न्यायपालिका उन दोषियों को सज़ा देगी, जिन्होंने इस भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर बंगाल के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। भारत की न्याय व्यवस्था ममता बनर्जी और उनकी सरकार द्वारा किए गए अन्याय का हिसाब अवश्य लेगी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला इसी तरह शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल गए थे। भारत के इतिहास में ममता बनर्जी दूसरी मुख्यमंत्री हो सकती हैं, जिन्हें शिक्षक घोटाले में जेल जाना पड़ेगा। बीते दिन ममता बनर्जी ने कहा, "मुझे जेल भेजना चाहते हो? ममता दीदी जान चुकी हैं कि अब उनके साथ क्या होने वाला है। भारत का न्यायालय और न्यायपालिका ममता बनर्जी को उनके किए पाप के लिए जेल भेजेगी। अगर कोई व्यक्ति किसी के घर में चोरी करता है, तो एक व्यक्ति का नुकसान होता है। अगर कोई व्यक्ति नदी से अवैध रेत उठाकर बेचते हैं, तो हजारों लोगों, निवासियों और राजस्व का नुकसान होता है। लेकिन ममता बनर्जी ने पूरे पश्चिम बंगाल की शिक्षा के साथ खिलवाड़ की है। इसकी ज़िम्मेदार अगर कोई है, तो वह सीएम ममता बनर्जी हैं और उन्हें इसकी सज़ा मिलनी ही चाहिए।
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