Press statement by BJP Kisan Morcha President, Shri Om Prakash Dhankar


09-07-2011
Press Release

PDF Hindi Format

राहुल गाँधी जी की किसान महापंचायत में हमारे भी पांच सवाल

1. केवल जताए नहीं करे भी ?

गत आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र के चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी किसानों  के प्रति अभी के स्वरुप की तरह सर्वाधिक करुणामय रूप में थी, लेकिन गत खरीफ की फसल के समय आन्ध्र में आये दो तुफानो के कारण खराब होने से तीन सौ किसान आत्महत्या करने को विवश हुए | महाराष्ट्र मौसम की मार से मरने वाले किसानों  में दूसरे नम्बर पर था | विपक्ष के लगातार आंदोलन, आग्रह एवं सत्याग्रह के पश्चात भी केन्द्र एवं प्रदेश के कांग्रेस की सरकार राहत देने में नाकाम रही |

2. भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक कब ?

हरियाणा के फतेहाबाद, खेडीसाध (रोहतक), अम्बाला में एवं आंध्र के श्रीकाकुलम में भी किसान अपनी भूमि बचाने के लिए मरे, आप 14 अगस्त 2010 के बाद टप्पल भी गये, यही सब मीडिया शूटिंग, पिपली लाइव फिल्म की तरह उस समय भी हुई थी | किसानों  के एक प्रतिनिधि मण्डल को लेकर उस समय भी आप प्रधानमंत्री को मिले थे | लेकिन किसानों को न्याय देने वाला भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक गत सत्रों में नहीं आया, पुंजीपतियों के लैंड बैंक बनते रहे, क्या हम उम्मीद करे की किसानों  को लाभ में हिस्सा देने वाला,  भूमिहीन लोगो का भी पुनर्वास करने वाला, सरकारों को बिचौलियों की भूमिका निभाने से हटाने वाला नया कानून मानसून सत्र में आयेगा |

3. स्वामीनाथन रिपोर्ट लागूं क्यों नहीं ?

सरकार बार बार स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागूं करने की घोषणा करती रही है | स्वामीनाथन आयोग लागत मूल्य में 50% किसानों का पारिश्रमिक जोड़ कर समर्थन मूल्य तय करने का सुझाव देता है | भिन्न भिन्न राज्यों में अब धान एवं गेहू की प्रति किवंटल उत्पादन लागत 1200 से 1450 रूपये है, जबकि गेहू एवं धान के समर्थन मूल्य केवल 20 रूपये एवं 80 रूपये किवंटल बढ़ाये गये | गेहूं को 1120 और धान को 1080 रूपये मात्र दिया एवं घोषित किया है | कृषि मंत्रालय के धान के समर्थन मूल्य में 160 रुपये प्रति किवंटल बढोतरी के सुझाव को अस्वीकार करने से स्पष्ट है की कांग्रेसनीत सरकार में शिखर पर घोर किसान विरोधी लोग बैठे है | सरकार सभी राज्यों के धान के लागत मूल्य को प्रकाशित करे, इससे स्पष्ट हो की किसानों  को कितना घाटे में रख कर समर्थन मूल्य दिया जा रहा है |

4. नया बीज कानून किसके लिए है ?

बीज एवं पेस्टीसाइड मैनेजमेंट विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत है | ये दोनों कानून बीज एवं पेस्टीसाइड किसानों के सामुदायिक  अधिकार से व्याक्तिगत अधिकार की ओर ले जाने वाले है , यानि पेटेंट और एकाधिकार को बढ़ावा देने वाले है | किसानों की इनपुट कॉस्ट को बढ़ाने वाले है |

इन विधेयको के माध्यम से राज्यों के अधिकार क्षेत्रो का हनन करके कम्पनीयों को सिंगल विन्डो जैसी सुविधा देने के लिए संविधान की मूल भावना के विपरीत कृषि क्षेत्र के इन इनपुट्स का नियंत्रण केन्द्र अपने हाथ में ले रहा है क्योकि भारत के संविधान में कृषि राज्यों का विषय है | ये विधेयक नकली एवं घटिया बीज बेचने वालों को प्रति बहुत ही विनम्र है |

5. बेहतर रिस्क मैनेजमेंट कब ?

प्राकृतिक आपदा के समय अपर्याप्त  सहायता के कारण सैकड़ो किसान मरने को विवश हो जाते है | फसल नष्ट होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर दो हजार रूपये देने के प्रावधान है | यानि प्रति एकड़ 800 रूपये यानि केवल बीज के पैसे वो भी सब फसलों के लिए पर्याप्त नहीं , और व्यक्तिगत  फसल बीमा भी ऋण लेने वालो किसानों तक सिमित है | 90% किसान अभी भी बीमा कवर से बाहर | फसल चक्र के साथ आयत निर्यात प्रबंधन , फसल उत्पादन (मात्रा प्रबंधन ) जिससे अधिक उत्पादन से किसानों को हानि ना हो | मंडी प्रबंधन यानि फसल आवक प्रबंधन अर्थात किसी दिन अधिक फसल आने से किसानों को कम दाम ना मिले जैसे उपाय सरकार कब करेगी ?

 

औम प्रकाश धनखड़
राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान मोर्चा
09215759163

1.     केवल जताए नहीं करे भी ?

गत आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र के चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी किसानों  के प्रति अभी के स्वरुप की तरह सर्वाधिक करुणामय रूप में थी, लेकिन गत खरीफ की फसल के समय आन्ध्र में आये दो तुफानो के कारण खराब होने से तीन सौ किसान आत्महत्या करने को विवश हुए | महाराष्ट्र मौसम की मार से मरने वाले किसानों  में दूसरे नम्बर पर था | विपक्ष के लगातार आंदोलन, आग्रह एवं सत्याग्रह के पश्चात भी केन्द्र एवं प्रदेश के कांग्रेस की सरकार राहत देने में नाकाम रही |

2.     भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक कब ?

हरियाणा के फतेहाबाद, खेडीसाध (रोहतक), अम्बाला में एवं आंध्र के श्रीकाकुलम में भी किसान अपनी भूमि बचाने के लिए मरे, आप 14 अगस्त 2010 के बाद टप्पल भी गये, यही सब मीडिया शूटिंग, पिपली लाइव फिल्म की तरह उस समय भी हुई थी | किसानों  के एक प्रतिनिधि मण्डल को लेकर उस समय भी आप प्रधानमंत्री को मिले थे | लेकिन किसानों को न्याय देने वाला भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक गत सत्रों में नहीं आया, पुंजीपतियों के लैंड बैंक बनते रहे, क्या हम उम्मीद करे की किसानों  को लाभ में हिस्सा देने वाला,  भूमिहीन लोगो का भी पुनर्वास करने वाला, सरकारों को बिचौलियों की भूमिका निभाने से हटाने वाला नया कानून मानसून सत्र में आयेगा |

3.     स्वामीनाथन रिपोर्ट लागूं क्यों नहीं ?

सरकार बार बार स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागूं करने की घोषणा करती रही है | स्वामीनाथन आयोग लागत मूल्य में 50% किसानों का पारिश्रमिक जोड़ कर समर्थन मूल्य तय करने का सुझाव देता है | भिन्न भिन्न राज्यों में अब धान एवं गेहू की प्रति किवंटल उत्पादन लागत 1200 से 1450 रूपये है, जबकि गेहू एवं धान के समर्थन मूल्य केवल 20 रूपये एवं 80 रूपये किवंटल बढ़ाये गये | गेहूं को 1120 और धान को 1080 रूपये मात्र दिया एवं घोषित किया है | कृषि मंत्रालय के धान के समर्थन मूल्य में 160 रुपये प्रति किवंटल बढोतरी के सुझाव को अस्वीकार करने से स्पष्ट है की कांग्रेसनीत सरकार में शिखर पर घोर किसान विरोधी लोग बैठे है | सरकार सभी राज्यों के धान के लागत मूल्य को प्रकाशित करे, इससे स्पष्ट हो की किसानों  को कितना घाटे में रख कर समर्थन मूल्य दिया जा रहा है |

4.     नया बीज कानून किसके लिए है ?

बीज एवं पेस्टीसाइड मैनेजमेंट विधेयक राज्य सभा में प्रस्तुत है | ये दोनों कानून बीज एवं पेस्टीसाइड किसानों के सामुदायिक  अधिकार से व्याक्तिगत अधिकार की ओर ले जाने वाले है , यानि पेटेंट और एकाधिकार को बढ़ावा देने वाले है | किसानों की इनपुट कॉस्ट को बढ़ाने वाले है |

इन विधेयको के माध्यम से राज्यों के अधिकार क्षेत्रो का हनन करके कम्पनीयों को सिंगल विन्डो जैसी सुविधा देने के लिए संविधान की मूल भावना के विपरीत कृषि क्षेत्र के इन इनपुट्स का नियंत्रण केन्द्र अपने हाथ में ले रहा है क्योकि भारत के संविधान में कृषि राज्यों का विषय है | ये विधेयक नकली एवं घटिया बीज बेचने वालों को प्रति बहुत ही विनम्र है |

5.     बेहतर रिस्क मैनेजमेंट कब ?

प्राकृतिक आपदा के समय अपर्याप्त  सहायता के कारण सैकड़ो किसान मरने को विवश हो जाते है | फसल नष्ट होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर दो हजार रूपये देने के प्रावधान है | यानि प्रति एकड़ 800 रूपये यानि केवल बीज के पैसे वो भी सब फसलों के लिए पर्याप्त नहीं , और व्यक्तिगत  फसल बीमा भी ऋण लेने वालो किसानों तक सिमित है | 90% किसान अभी भी बीमा कवर से बाहर | फसल चक्र के साथ आयत निर्यात प्रबंधन , फसल उत्पादन (मात्रा प्रबंधन ) जिससे अधिक उत्पादन से किसानों को हानि ना हो | मंडी प्रबंधन यानि फसल आवक प्रबंधन अर्थात किसी दिन अधिक फसल आने से किसानों को कम दाम ना मिले जैसे उपाय सरकार कब करेगी ?

 

औम प्रकाश धनखड़

राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान मोर्चा

09215759163

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