Salient points of press conference of senior BJP Leader Shri Ravi Shankar Prasad (MP)


द्वारा श्री रविशंकर प्रसाद -
24-03-2025
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार द्वारा मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए संविधान में बदलाव करने के बयान की भाजपा कड़ी आलोचना करती है। आखिर कांग्रेस मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति में कहां तक जाएगी?

******************

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी ठेका आवंटन में मुस्लिमों को दिए जा रहे 4% आरक्षण पूरी तरह से गैरकानूनी और असंवैधानिक है।

******************

राहुल गांधी को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देनी होगी। क्या वे देश को भरोसा दिलाएंगे कि कांग्रेस संविधान नहीं बदलेगी?

******************

राहुल गांधी का कभी-कभार मंदिरों में जाना भी अब बंद हो गया है। अब वे बार-बार चुनाव हार रहे हैं, तो मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने लगे हैं।

******************

क्या कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी दलों ने मुस्लिम कट्टरपंथी मौलवियों को अपनी राजनीति पर वीटो का अधिकार दे दिया है?

******************

यह इतिहास में दर्ज है कि कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति के चलते महिलाओं के अधिकारों को कुचला। चंद वोटों के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गाँधी और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसी महिला नेता भी तीन तलाक को खत्म करन के विरोध में खड़ी हो गई थीं।

******************

कांग्रेस अपने दलित मुस्लिम एजेंडे के जरिए अनुसूचित जातियों का अधिकार छीनना और उनके आरक्षण को नुकसान पहुंचाना चाहती है।

******************

यह देश छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी प्रेरणा मानता है, औरंगजेब को नहीं। जब भी छत्रपति शिवाजी और औरंगजेब के बीच चुनाव करना होगा, यह देश हमेशा छत्रपति शिवाजी को चुनेगा।

******************

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को औरंगजेब बनाम छत्रपति शिवाजी की विरासत पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा। कांग्रेस की "सुविधाजनक चुप्पी" अब नहीं चलेगी।

******************

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने आज केंद्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी की तुष्टीकरण की राजनीति पर जमकर हमला बोला। श्री प्रसाद ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के संविधान में बदलाव को लेकर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस आरक्षण नीति में बदलाव करना चाहती है? श्री प्रसाद ने कांग्रेस आलाकमान से डीके शिवकुमार के बयान और औरंगजेब के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि सच्चाई अपने आप सामने आ जाती है। पिछले दो-तीन साल से कांग्रेस का भाजपा पर आरोप है कि हम संविधान बदल देंगे और पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी एकमात्र 'थीम' यही थी, जो बिल्कुल झूठ पर आधारित थी और एक भ्रामक प्रचार था। कांग्रेस पार्टी ने अभियान चलाया था कि यदि भाजपा को पूर्ण बहुमत या 400 सीटें मिलती हैं, तो वे संविधान बदल देगी। लेकिन भाजपा ने बार-बार स्पष्ट किया है कि हम संविधान नहीं बदलेंगे और हमने बदला भी नहीं। भाजपा ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया और इस कदम का सभी ने समर्थन भी किया।

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि अब कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण पर उतारू हो गई है। कांग्रेस द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण विषय पर चर्चा करने से पहले कुछ ऐतिहासिक संदर्भ देना जरूरी है ताकि कांग्रेस पार्टी का असली चेहरा सामने लाया जा सके। शाहबानो केस में लगभग 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला का मामला था, जिसे उसके पति द्वारा भरण-पोषण नहीं दिया जा रहा था। उसने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत न्याय की गुहार लगाई। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मेंटेनेंस देने का आदेश दिया, जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। उसका पति एक बैरिस्टर था और उसने सुप्रीम कोर्ट तक इस फैसले को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 का उद्देश्य किसी भी पत्नी को मेंटेनेंस देना है और यह धर्मनिरपेक्ष है। लेकिन इस फैसले के बाद इतना बड़ा विवाद खड़ा हुआ कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दबाव में आकर इस निर्णय को पलट दिया। यह इतिहास हमें याद दिलाता है कि किस तरह कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते महिलाओं के अधिकारों को कुचला। इसी संदर्भ में, जब देश में तीन तलाक को समाप्त करने का कानून लाया गया, तब मुझे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कानून मंत्री के रूप में इसे संसद में प्रस्तुत करने का दायित्व सौंपा था।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक की प्रथा आज पाकिस्तान, बांग्लादेश, जॉर्डन, मलेशिया, इंडोनेशिया और सीरिया में भी सीमित हो चुकी है, क्योंकि यह एक बेहद अनुचित प्रथा मानी जाती है। यह लगभग महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसा है। सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो केस में इसे असंवैधानिक करार दिया था और कहा था कि यह इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप भी नहीं है। इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि अदालत इस पर फैसला न दे, बल्कि वे खुद सुनिश्चित करेंगे कि नए निकाहनामे में पति यह लिखकर देगा कि वह तीन तलाक नहीं देगा। इसके बावजूद, देशभर में इस प्रथा के खिलाफ व्यापक अभियान चला। लेकिन जब संसद में इसे खत्म करने के लिए कानून लाया गया, तब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी जैसी महिला नेताओं ने भी महज वोट बैंक की राजनीति के कारण इसका विरोध किया। यह दिखाता है कि कुछ बड़े राजनीतिक दलों की महिला नेता भी महिलाओं के हित में बनाए गए कानूनों के खिलाफ खड़ी हो जाती हैं, सिर्फ इसलिए कि उनके वोट प्रभावित न हों।  इसी संदर्भ में एक और मामला उठता है, अभी तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एससी-एसटी को आरक्षण नहीं मिला है, और यह मामला अदालत में विचाराधीन है। यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि देश किस दिशा में जा रहा है।

 

भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री प्रसाद ने कहा कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का बयान भी चर्चा में आया। उन्होंने एक समाचार चैनल के शिखर सम्मेलन में कहा कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर बड़ी बहस चल रही है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेता अक्सर मुसलमानों के बारे में अपमानजनक बातें कहते हैं, जबकि सरकार की जिम्मेदारी समाज के हर वर्ग को आगे लाने की है। डी.के. शिवकुमार ने यह भी कहा कि कई संवैधानिक बदलाव और अदालती फैसले समय के साथ संविधान में परिवर्तन लाते रहे हैं, इसलिए हमें देखना होगा कि अदालत क्या निर्णय देती है। बाद में जब इस बयान पर विवाद हुआ, तो उन्होंने सफाई दी कि उनका मतलब संविधान बदलने से नहीं था, बल्कि उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। लेकिन मूल बयान रिकॉर्ड में मौजूद है, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर ये लोग कहाँ तक जाएंगे?

 

श्री प्रसाद ने कहा कि भारत के संविधान में धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं है। बाबासाहेब डॉ भीम राव अंबेडकर की सोच भी यही थी, जिसे हमने कई बार दोहराया है और अभी भी कह रहे हैं। आरक्षण केवल आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया जा सकता है, लेकिन सरकार सीधे 4% मुस्लिमों को आरक्षण दे रही है, वह भी सरकारी ठेके में। यह पूरी तरह से गैरकानूनी और असंवैधानिक है। मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति में यह एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ कहां तक जाएगी? भाजपा इसकी कड़ी आलोचना करती है।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि नागपुर में हुई हिंसा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। हिंसा किसने करवाई? इसके पीछे कौन लोग थे? उनका जुड़ाव कहां से था? क्या उन्हें विदेश से भी समर्थन मिल रहा था? कांग्रेस ने इस पर कुछ नहीं कहा है।

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रसाद ने राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी से सवाल पूछे कि कुंभ मेले में 65 करोड़ लोग गए, लेकिन क्या राहुल गांधी वहां गए? क्या उनके नेता वहां पहुंचे? आखिर वे वहां क्यों नहीं गए? यह शर्मिंदगी किस बात की है? प्रियंका गांधी को जाने में शर्मिंदगी क्यों होनी चाहिए?  श्री प्रसाद ने कहा कि पहले तो राहुल गांधी कभी-कभार मंदिर चले जाया करते थे, अब वह भी बंद हो गया है। अब वे बार-बार चुनाव हार रहे हैं, उत्तर प्रदेश और बिहार में कमजोर पड़ रहे हैं, तो मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, उनकी तुष्टिकरण की राजनीति कहां तक चलेगी? कुछ पार्टियों ने कट्टरपंथी मुस्लिम नेतृत्व को अपनी राजनीति पर वीटो का अधिकार दे दिया है। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी दलों ने मुस्लिम कट्टरपंथी मौलवियों को अपनी राजनीति तय करने का अधिकार दे दिया है? यह देश के लिए गंभीर विषय है और भाजपा इसका विरोध करती है। इससे देश की एकता कमजोर होगी। गरीब मुस्लिमों के विकास के लिए काम होना चाहिए और मोदी सरकारसबका साथ, सबका विकासके सिद्धांत पर काम कर रही है। क्या मुस्लिम गांवों में सड़कें और बिजली नहीं पहुंच रही हैं? विकास सबके लिए हो रहा है, चाहे उन्होंने वोट दिया हो या नहीं।

 

श्री प्रसाद ने राहुल गांधी से सवाल पूछे कि क्या वे कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देंगे? क्या वे देश को भरोसा दिलाएंगे कि कांग्रेस संविधान नहीं बदलेगी? भाजपा स्पष्ट रूप से जानना चाहती है कि जब धर्म आधारित आरक्षण की संविधान में अनुमति नहीं है, तो क्या कांग्रेस इसे बदलने की योजना बना रही है? डी.के. शिवकुमार की टिप्पणी क्या इस दिशा में पहला कदम है? कांग्रेस का असली एजेंडा क्या है? कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के बजट में जो प्रावधान किए गए हैं, उस पर चर्चा होनी चाहिए। इसके अलावा, एक और मुद्दा है—‘दलित मुस्लिम का अर्थ क्या है?

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि कर्नाटक में बार-बार इस तरह की चर्चा होती रहती है। रंगनाथ मिश्रा कमीशन को मनमोहन सिंह सरकार ने गठित किया था, जिसने मुस्लिमों को आरक्षण देने की सिफारिश की थी। सच्चर कमेटी ने भी मुस्लिमों की स्थिति पर रिपोर्ट दी थी और इसी आधार पर मनमोहन सिंह ने कहा था कि "मुस्लिमों का राष्ट्रीय संसाधनों पर पहला अधिकार है।" इस पर कांग्रेस पार्टी अपना रुख पूरी तरह स्पष्ट करे। जब दलित-मुस्लिम की बात की जाती है, तो यह समझना जरूरी है कि जब भारत का संविधान बना था, तब बाबासाहेब डॉ अंबेडकर, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और मौलाना आजाद इस बात को समझते थे कि दलितों के साथ जो अत्याचार हुआ, वह हिंदू समाज की एक कुरीति थी। इसलिए, संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति का आरक्षण केवल हिंदुओं को दिया गया। 1950 के "संवैधानिक अनुसूचित जाति आदेश" में साफ लिखा गया है कि यह आरक्षण केवल हिंदू समाज के लिए लागू होगा। बाद में इसमें बौद्धों और सिखों को भी शामिल किया गया, क्योंकि वे व्यापक रूप से हिंदू समाज का हिस्सा माने गए। लेकिन इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया। 

 

श्री प्रसाद ने कहा कि अगर दलित-मुस्लिम की बात होती है, तो इससे अनुसूचित जातियों का अधिकार छीना जाएगा और उनके आरक्षण को नुकसान पहुंचेगा। सुप्रीम कोर्ट का एक प्रसिद्ध मामला है- सुसाई बनाम तमिलनाडु राज्यइसमें एक ईसाई व्यक्ति ने दलित होने के आधार पर आरक्षण का लाभ लेने का दावा किया, जबकि पहले वह हिंदू था। मद्रास हाईकोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो वहां भी यही फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति का आरक्षण ऐतिहासिक रूप से दलितों के खिलाफ हुए सामाजिक अन्याय और भेदभाव की भरपाई के लिए दिया गया है। जब तक यह साबित नहीं होता कि ईसाई बनने के बाद भी वही भेदभाव जारी है, तब तक इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। यही देश का कानून है। इसलिए जब "दलित-मुस्लिम" जैसी अवधारणा लाई जाती है, तो भाजपा इसकी कड़ी निंदा करती है। भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारों पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण का पुरजोर विरोध करेगी। 

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि आजकल इतिहास को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कभी-कभी कुछ लोग महान राजाओं और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की अनावश्यक आलोचना करने लगते हैं। क्या अपनी विरासत का इस तरह से अपमान करना सही है? भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट कहना चाहती है कि यह देश छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी प्रेरणा मानता है, औरंगजेब को नहीं। जब भी छत्रपति शिवाजी और औरंगजेब के बीच चुनाव करना होगा, यह देश हमेशा छत्रपति शिवाजी को चुनेगा। यह भी एक सच्चाई है कि कांग्रेस के शासनकाल में छत्रपति शिवाजी की उपलब्धियों को छिपाने की कोशिश की गई। कल आरएसएस महासचिव माननीय दत्तात्रेय होसबोले जी ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि दिल्ली के कुछ लिबरल अकादमिक गुट हमेशा औरंगजेब की पैरवी में लगे रहते हैं, लेकिन दारा शिकोह का नाम तक नहीं लेते। दारा शिकोह गीता, उपनिषद और भारतीय दर्शन के जानकार थे, उन्होंने इन रचनाओं को फ़ारसी में अनुवाद करवाया था ताकि भारत की सांस्कृतिक गौरव को समझा जा सके, लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं करता। भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी से जवाब चाहती है कि औरंगजेब बनाम छत्रपति शिवाजी की विरासत पर आपका क्या रुख है? भाजपा यह स्पष्ट करना चाहती है कि कांग्रेस की "सुविधाजनक चुप्पी" अब नहीं चलेगी। यह सवाल केवल एक ऐतिहासिक विवाद का नहीं, बल्कि भारत की परंपरा, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता का है। कांग्रेस को देश के सामने स्पष्ट करना चाहिए कि वह इस विषय पर कहाँ खड़ी है?

 

********************

 

 

 

To Write Comment Please लॉगिन