Salient points of press conference of senior BJP Leader Shri Ravi Shankar Prasad (M.P.).


द्वारा श्री रविशंकर प्रसाद -
15-03-2025
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोक सभा सांसद श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण की घोषणा असंवैधानिक है और बाबा साहब अंबेडकर के संविधान की भावना के विरुद्ध है।

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कांग्रेस सरकार द्वारा कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण की घोषणा राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाली है। भाजपा इसकी कड़ी निंदा करती है।

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 कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति के नए आयाम रच रही है जो देश के लिए अत्यंत खतरनाक है। राहुल गांधी से समझदारी की कोई उम्मीद नहीं है।

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पूरे देश में प्रेम होली मनी एवं हिंदू और मुसलमानों ने एक नई एकता और एक नए सद्भाव का परिचय दिया। इसी समय सांप्रदायिक और वोट बैंक की राजनीति को नया रूप दिया जा रहा है।

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सरकारी ठेकों में 4% धर्म आधारित आरक्षण जैसे मामूली प्रतीत होने वाले फैसले आगे चलकर बड़े बदलाव का कारण बनते हैं और इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी इसी तरह कि छोटी मांगों के बाद एक बड़ा विभाजन हुआ।

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क्या कांग्रेस धर्म के आधार पर मुसलमानों के लिए अलग लाइनें लगाएगी, क्या रेलवे और सिनेमा टिकट में भी आरक्षण होगा?

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हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस एंड कंपनी तुष्टिकरण की राजनीति से बाज नहीं आ रही।
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कांग्रेस जैसी पार्टियां सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करती हैं, जिससे देश के मुस्लिमों की सशक्त आवाज कमजोर होती है।
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केवल एक समुदाय को आरक्षण देने से बाकी सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों का हक मारा जाएगा। आरक्षण की भी एक सीमा होती है और 100% आरक्षण असंवैधानिक होने के साथ-साथ राष्ट्र को कमजोर करता है।
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोक सभा सांसद श्री रविशंकर प्रसाद ने आज शनिवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा अपने 2025 के बजट में सरकारी ठेकों में मुस्लिमों समुदाय को एक विशेष 4% की भागीदारी देने पर कड़ी आलोचना की। श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा की जहा एक तरफ हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में जबरदस्त भाजपा को प्रचंड जीत मिली क्योंकि देश की जनता माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को कमजोर नहीं देखना चाहती, वही दूसरी तरफ लगातार मिल रही हार का मुंह देखने के बाद भी कुछ राजनीतिक दल अपनी तुष्टीकरण की राजनीति करना नही छोड़ रहे हैं।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि आज विषय ऐसा है जो है तो सिर्फ कर्नाटक का, लेकिन इसका प्रभाव अखिल भारतीय है और इस विषय से कांग्रेस पार्टी एवं राहुल गाँधी की सोच भी उजागर हो गई है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने अपने बजट में सरकारी ठेकों में मुसलमान ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण की घोषणा की है। अभी तक नौकरियों में आरक्षण दिया जाता था लेकिन अब कांग्रेस सरकारी ठेकों में भी मुस्लिम समुदाय को सीधे 4% आरक्षण दे रही है।

 

भाजपा सांसद ने कहा कि कल पूरे देश में शांति और सौहार्द्र से होली का त्योहार मनाया गया। तमाम आशंकाओं के बावजूद, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित पूरे देश में प्रेम होली मनी एवं हिंदू और मुसलमानों ने एक नई एकता और एक नए सद्भाव का परिचय दिया। इसी समय सांप्रदायिक और वोट बैंक की राजनीति को नया रूप दिया जा रहा है। सरकारी ठेकों में 4% धर्म आधारित आरक्षण जैसे मामूली प्रतीत होने वाले फैसले आगे चलकर बड़े बदलाव का कारण बनते हैं। शाह बानो मामला, तीन तलाक और राम जन्मभूमि जैसे मुद्दों पर लगातार विरोध के बावजूद बदलाव हुआ, लोकसभा चुनाव के दौरान झूठे दावों के जरिए भाजपा को आरक्षण विरोधी साबित करने की कोशिश की गई, लेकिन जनता ने इन दावों को भी नकार दिया। हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में जबरदस्त भाजपा को प्रचंड जीत मिली क्योंकि देश की जनता माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को कमजोर नहीं देखना चाहती। परन्तु बारंबार हार का मुंह देखने के बाद भी कांग्रेस एंड कंपनी तुष्टिकरण की राजनीति से बाज नहीं आ रही। कर्नाटक में दिया गया यह आरक्षण राहुल गांधी के समर्थन और स्वीकृति से दिया गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया में न इसे स्वतंत्र रूप से घोषित करने साहस है और न ही उनके पास राजनीतिक शक्ति है।

 

श्री शंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी फिर से वियतनाम गए हैं, जबकि जनवरी में भी वे वहां गए थे। उन्होंने नया साल भी वियतनाम में ही मनाया था और अब होली भी वहीं मना रहे हैं। राहुल गांधी ने करीब 22 दिन वियतनाम में बिताए, जो उनकी संसदीय क्षेत्र में दिए गए समय से अधिक है। रायबरेली में कुछ समय दिया, लेकिन अचानक वियतनाम से इतनी गहरी रुचि क्यों बढ़ गई? अब तो वे विपक्ष के नेता हैं, उनकी देश में उपस्थिति ज़रूरी होनी चाहिए। भारत वियतनाम का सम्मान करता है, लेकिन उनकी बार-बार की यात्राओं पर सवाल उठना स्वाभाविक है। विपक्ष के नेता के रूप में उन्हें इस असाधारण रुचि का स्पष्टीकरण देना चाहिए। कर्नाटक में छोटे-छोटे मुद्दों को बड़ा बनाया जाता है, लेकिन इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी इसी तरह छोटी मांगों से बड़े विभाजन हुए। कांग्रेस पार्टी लगातार प्रतिस्पर्धात्मक वोट बैंक और मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति को नए आयाम दे रही है, जो देश के लिए खतरनाक है। बंगाल में हिंदू मंदिरों पर हमले होते हैं, कर्नाटक में भी ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन यह तुष्टीकरण राजनीति कहाँ तक जाएगी? क्या मुसलमानों के लिए अलग लाइनें लगेंगी, क्या रेलवे और सिनेमा टिकट में भी आरक्षण होगा? यह केवल संवैधानिक मुद्दा नहीं, बल्कि व्यावहारिक राजनीतिक स्थिति है। बार-बार चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस अपनी नीतियों पर पुनर्विचार नहीं कर रही। यह उनकी वोट बैंक राजनीति की गहरी पकड़ को दर्शाता है, जिसका भाजपा पूरी तरह विरोध करती रही है और आगे भी करेगी।

 

भाजपा सांसद ने कर्नाटक सरकार द्वारा मुस्लिम ठेकेदारों के लिए 4% आरक्षण की मंजूरी को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश में दिए गए इसी तरह के आरक्षण को अदालत ने खारिज कर दिया था, और यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में लंबित है। भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को आधार मानता है। ओबीसी को आरक्षण दिया जाना उचित है, लेकिन सरकारी ठेके में सीधे किसी धर्म विशेष को 4% आरक्षण देना संविधान के खिलाफ है। श्री प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी केस समेत अन्य फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अदालत बार-बार स्पष्ट कर चुकी है कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं दिया जा सकता। पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही मामला लंबित है, जहां अदालत ने धर्म आधारित आरक्षण को अस्वीकार किया था।

 

श्री प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि मनमोहन सिंह ने मुस्लिम समुदाय का राष्ट्रीय संसाधनों पर पहला अधिकार होने की बात कही थी और राहुल गांधी ने कांग्रेस को मुसलमानों की पार्टी बताया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की राजनीति, मुस्लिम लीग की विचारधारा के करीब है। भारत में दो धाराओं की बात की जाती है एक, जो मौलाना आज़ाद, अब्दुल हमीद, एपीजे अब्दुल कलाम, रहीम, रसखान, मलिक मोहम्मद जायसी और अशफाक उल्ला खां की विचारधारा को आगे बढ़ाती है, और दूसरी, जो जिन्ना की राजनीति की ओर झुकती है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सोच बाकी अन्य नेताओं से विभिन्न है, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अंडमान में परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर द्वीपों के नामकरण में अब्दुल हमीद को भी सम्मान दिया गया है। भाजपा सरकार ने ही एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाया था।

 

भाजपा सांसद ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहते हुए उन्हें पाकिस्तान में क्रिकेट मैच देखने का अवसर मिला था। जब भारतीय गेंदबाज ज़हीर खान और इरफान पठान ने पाकिस्तानी बल्लेबाजों को जल्दी आउट किया, तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने उनसे पूछा कि ये किस जगह के मुसलमान हैं। बाद में जब मोहम्मद कैफ ने शानदार बल्लेबाजी की, तब भी यही सवाल दोहराया गया। उन्होंने जवाब दिया कि ये सभी भारत माता के बेटे हैं और भारत को जिताने आए हैं। भाजपा इसी सोच को आगे बढ़ाती है और यही सम्मान देती है। कुछ दल सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं, जिससे देश के मुस्लिमों की सशक्त आवाज कमजोर होती है।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि देश में मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग अब इस तरह की राजनीति को नापसंद करता है। राम मंदिर बनने के बाद वहां करोड़ों लोग जा रहे हैं, और काशी में भी बुर्का पहनकर महिलाएं होली मना रही हैं, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। डॉ बाबा साहेब अंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेस (वॉल्यूम 17, पार्ट 3, पेज 418) में बाबा साहब के 27 अक्टूबर 1951 को दिए गए भाषण का उल्लेख है जिसमें वे कहते हैं कि कांग्रेस नेता पंडित नेहरू ने बीते 20 वर्षों में हजारों भाषण दिए, लेकिन कभी अनुसूचित जातियों के कल्याण की बात नहीं की। इससे कांग्रेस की असली सोच का अंदाजा लगाया जा सकता है। मुसलमानों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए, लेकिन उनके अधिकार अन्य समुदायों की कीमत पर नहीं होने चाहिए। केवल एक समुदाय को आरक्षण देने से बाकी सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों का हक मारा जाएगा। आरक्षण की भी एक सीमा होती है, और 100% आरक्षण असंवैधानिक होने के साथ-साथ राष्ट्र को कमजोर करता है। यह तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाता है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले की इसीलिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में कड़ी निंदा की जाती है। इस निर्णय को अदालत में चुनौती दी जाएगी। राहुल गांधी से कोई समझदारी की उम्मीद नहीं है, लेकिन उनकी देखादेखी अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में भी ऐसा करने की कोशिश होगी, जिसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।

 

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