
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अनिल एंटनी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 140 करोड़ भारतीयों को 'विकसित भारत' के लक्ष्य की ओर सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा विकास मंत्र- सबका सशक्तिकरण, किसी का तुष्टीकरण नहीं।
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कर्नाटक सरकार ने ऐसा बजट पेश किया है,जो उनके नए आदर्श औरंगजेब से प्रेरित लगता है। जिन्ना की मुस्लिम लीग का आधुनिक रूप बन चुकी कांग्रेस ने कर्नाटक को तुष्टीकरण की राजनीति का मुख्य केंद्र बना दिया है।
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कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कॉलोनी विकास कार्यक्रम के तहत ₹1,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
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कर्नाटक सरकार ने वक्फ संपत्तियों और कब्रिस्तानों के विकास के लिए ₹150 करोड़ आवंटित किए हैं, जबकि 85,000 एकड़ वक्फ भूमि अतिक्रमण विवाद में है।
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इंडी गठबंधन के शीर्ष नेता राहुल गांधी लंबे समय से धार्मिक आधार पर जनगणना व संसाधन पुनर्वितरण की वकालत कर रहे हैं, जिसे कर्नाटक सरकार ने अब लागू कर दिया है।
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क्या कर्नाटक में अल्पसंख्यक सिर्फ मुस्लिम हैं? कांग्रेस शासित सरकार तुष्टीकरण के लिए ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण क्यों छीन रही है?
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भाजपा सरकार ने 2023 में असंवैधानिक 4% मुस्लिम-एक्सक्लूसिव आरक्षण को समाप्त कर दिया था, लेकिन जैसे ही कर्नाटक में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, इसे दोबारा लागू करने के प्रयास शुरू किए गए।
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अगस्त 2024 में कांग्रेस के 12 मुस्लिम सांसदों ने कर्नाटक सरकार को एक याचिका सौंपी जिसमें मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दोबारा लागू करने की मांग की गई थी।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अनिल एंटनी ने आज नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कर्नाटक सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को "औरंगजेब से प्रेरित" बताया और इसकी कड़ी आलोचना की। श्री एंटनी ने कहा कि 50 से अधिक वर्षों तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस अब सामाजिक न्याय की अपनी पहचान खो चुकी है और आज मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के आधुनिक संस्करण के रूप में उभर रही है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बाबा साहब अंबेडकर के विचारों के विरुद्ध जाकर धर्म-आधारित आरक्षण लागू किया है, जो संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री एंटनी ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 2014 में पदभार संभालने के बाद से ही "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास" के विकास मंत्र के साथ सरकार चला रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 140 करोड़ भारतीयों के सशक्तिकरण और भारत को 'विकसित भारत' बनाने के लक्ष्य की ओर निरंतर कार्य कर रही है। हमारा विकास मंत्र "सबका सशक्तिकरण, किसी का तुष्टीकरण नहीं" है। इसके विपरीत देश पर 50 से अधिक वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस अब सामाजिक न्याय की अपनी पुरानी पहचान को त्याग रही है। कांग्रेस आज मोहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग के आधुनिक संस्करण के रूप में उभर रही है। कर्नाटक की कांग्रेस राज्य सरकार इसका सबसे बड़ा उदाहरण बन चुकी है, जहां तुष्टीकरण की राजनीति चरम पर पहुंच चुकी है।
श्री एंटनी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही कर्नाटक सरकार ने एक ऐसा बजट पेश किया है जो उनके नए आदर्श औरंगजेब से प्रेरित लगता है। वर्ष 2023 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में राज्य ने असंवैधानिक 4% मुस्लिम-एक्सक्लूसिव आरक्षण को समाप्त कर दिया था, लेकिन जैसे ही कर्नाटक में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, इसे दोबारा लागू करने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष रूप से आरक्षित 4% आरक्षण को भाजपा सरकार ने समाप्त किया था, क्योंकि यह असंवैधानिक था। भारत का संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि किसी भी समुदाय को धार्मिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। भाजपा सरकार के कार्यकाल में यह 4% आरक्षण समाप्त कर, अनुच्छेद 2C और 2D के तहत 2% ओबीसी समुदाय लिंगायत और 2% वोक्कालिगा समुदाय को दिया गया था, लेकिन 2023 में कांग्रेस सरकार की वापसी के बाद इसे फिर से बहाल करने के प्रयास शुरू किए गए।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री एंटनी ने कहा कि अगस्त 2024 में कांग्रेस के 12 मुस्लिम सांसदों ने राज्य सरकार को एक याचिका सौंपी जिसमें मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दोबारा लागू करने की मांग की गई थी, जिसे ओबीसी श्रेणी में 2B के तहत देने की बात कही गई। कर्नाटक में कांग्रेस प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कई उदाहरण देखने को मिले हैं, इसमें इमामों और अन्य अल्पसंख्यक पुजारियों जिसका अर्थ कर्नाटक में केवल इमाम होता है, जिन्हें प्रति माह ₹6 हजार मानदेय देने की घोषणा हुई है। बेंगलुरु में हज भवन में एक और नए भवन के निर्माण के लिए अतिरिक्त धनराशि आवंटित की गई है। मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कॉलोनी विकास कार्यक्रम के तहत ₹1,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह उस समय किया गया है जब केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि सभी नागरिकों को उनके संवैधानिक रूप से गारंटीकृत संपत्ति अधिकार मिलें। केंद्र सरकार पहले ही वक्फ संशोधन विधेयक को उच्च सदन में पारित कर चुकी है, जिसे संयुक्त संसदीय समिति से सुझाव मिलने के बाद अभी निचले सदन में पारित किया जाना बाकी है। लेकिन इसी दौरान सिद्धारमैया सरकार ने एक बार फिर कब्रिस्तानों और वक्फ संपत्तियों के विकास के लिए ₹150 करोड़ आवंटित किए हैं। यह तब हो रहा है जब कर्नाटक में 1,00,000 एकड़ वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं, जिनमें से लगभग 85,000 एकड़ पर अतिक्रमण को लेकर विवाद चल रहा है, इसके बावजूद कर्नाटक सरकार ने वक्फ बोर्ड को ₹150 करोड़ और देने का फैसला किया है।
श्री एंटनी ने कहा कि सबसे चिंताजनक बात यह है कि बजट में फिर से रद्द किए गए 4% मुस्लिम आरक्षण को लागू करने की घोषणा की गई है। अब ₹2 करोड़ से कम की सभी सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय के लिए 4% आरक्षण अनिवार्य होगा। यह आरक्षण ग्रामीण विकास, शहरी विकास, स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग (PWD) सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में लागू किया जाएगा। यह पूरी तरह से डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है, क्योंकि उन्होंने धर्म के आधार पर आरक्षण देने का कड़ा विरोध किया था।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री एंटनी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इंडी गठबंधन के शीर्ष नेता राहुल गांधी लंबे समय से धार्मिक आधार पर जनगणना और संसाधनों के पुनर्वितरण की वकालत कर रहे हैं। दो दिन पहले ही कर्नाटक सरकार के एक मंत्री ने भी इसी विचार का समर्थन किया था और अब सिद्धारमैया सरकार ने इसे पूरा कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी सिद्धारमैया सरकार से पूछ रही है कि यह तुष्टीकरण कब तक चलेगा? क्या कर्नाटक में अल्पसंख्यक समुदाय का मतलब सिर्फ मुस्लिम समुदाय है? ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कोटे को एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए क्यों छीना जा रहा है? भाजपा स्पष्ट रूप से कहती है कि कर्नाटक सरकार को इस खुलेआम तुष्टीकरण नीति को तुरंत वापस लेना चाहिए।
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