
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की मीडिया बाइट के मुख्य बिंदु
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज मंगलवार को मीडिया को संबोधित करते हुए मध्यकालीन इतिहास के क्रूर शासक औरंगजेब का महिमामंडन करने के लिए सपा नेता अबू आजमी, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और उदित राज की कड़ी आलोचना की और इसे पूरे भारतीय समाज का अपमान करार दिया। डॉ त्रिवेदी ने बताया कि इंडी गठबंधन के दलों में अपने आप को बड़ा हिंदू विरोधी साबित करने की गला-काट प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है ताकि एक समुदाय का तुष्टिकरण कर उसके वोट लिए जा सकें। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कर्नाटक में बिना वित्त समिति की अनुशंसा के मुख्यमंत्री आवास में सौंदर्यीकरण शुरू करने के लिए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को भी आड़े हाथों लिया और इसे भ्रष्टाचार का मामला बताया।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी और उसके उपरांत कांग्रेस पार्टी के नेता राशिद अल्वी और उदित राज के द्वारा अकारण अवांछित रूप से इतिहास के सबसे क्रूर अत्याचारी शासकों में से एक औरंगजेब का महिमा मंडन करना, संपूर्ण भारतीय समाज के लिए बहुत अपमान की बात है। ये कांग्रेस और इंडी गठबंधन की पुरानी फितरत है। इससे पूर्व भी कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी औरंगजेब की कब्र पर जाकर फ़ातिहा पढ़ चुके हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इंडी गठबंधन के नेता सनातन धर्म के समूल नाश के अभियान में किसी भी सीमा और निम्नता तक जाने को तैयार हैं। जो बुलाने पर भी अयोध्या में श्रीरामलला का दर्शन करने नहीं गए, जो 66 करोड़ लोगों के आस्था का स्नान करने के बाद भी प्रयाग के महाकुंभ में स्नान करने नहीं गए, वो दुनिया के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब का गुणगान करने में लगे हैं। ये इनकी भारतीय संस्कृति के प्रति नफरत और हिकारत को दर्शाता है।
डॉ त्रिवेदी ने इंडी गठबंधन के नेताओं से प्रश्न करते हुए कहा कि आज जब दुनिया में न्यूक्लियर एनर्जी के साथ 5जी रोल आउट और एआई की बातें की जा रही हैं, तो उस समय अपने तीन सगे भाइयों की हत्या करने वाले और अपने बाप को जेल में डालने वाले इस क्रूर शासक का महिमा मंडन करके ये नेता क्या हासिल करना चाहते हैं? प्रसिद्ध इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार द्वारा अनुवादित 'मआसिर-ए-आलमगिरी' नामक औरंगजेब की आत्मकथा के पृष्ठ संख्या 80 से 100 के बीच साफ लिखा है कि 6 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने भारत के विभिन्न मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया और 2 सितंबर 1669 उस आदेश के पालन होने के दस्तावेज भी उपलब्ध हैं। औरंगजेब द्वारा 1670 में उदयपुर सहित कई शहरों में मूर्तियों को तोड़ने के आदेश भी उपलब्ध हैं। जिस औरंगजेब की ये सच्चाई है, ऐसे शासक का महिमा मंडन आज के समय में क्यों की जा रही है?
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि इससे भी अधिक दुख की बात यह है कि इस प्रकार का महिमा मंडन करके ये नेता छत्रपति शिवाजी महाराज की परंपरा और छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान का क्रूरतापूर्ण मजाक उड़ाने का प्रयास कर रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के राजकवि भूषण ने औरंगजेब के अत्याचार से दुखी होकर लिखा था कि-
कुम्भकरण असुर अवतारी औरंगजेब, काशी प्रयाग में दुहाई फेरी रब की.
तोड़ डाले देवी देव शहर मुहल्लों के, लाखों मुस्लमान किये माला तोड़ी सबकी.
भूषण भगत भाग्यों काशीपति विश्वनाथ, और कौन गिनती में भूली गति भव की.
काशी कर्बला होती मथुरा मदीना होती, शिवाजी न होते तो सुन्नत होती सबकी।
औरंगजेब का महिमामंडन छत्रपति शिवाजी महाराज के इस बलिदान का अपमान है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि औरंगजेब ने अपने सगे तीन भाइयों शाह शुजा, मुराद बख्श और दारा शिकोह का कत्ल किया, अपने सगे बड़े भाई दारा शिकोह का सर थाली में सजाकर, जेल में बंद अपने बाप शाहजहाँ के पास भेजा, अपने बाप को जेल में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाया। जब औरंगजेब ने शाहजहाँ को अधिक पानी देने से मना कर दिया था तो दुखी होकर शाहजहाँ ने फारसी में एक पत्र लिखा था - "ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी, ब पिदरे जिंदा आब तरसानी, आफरीन बाद हिंदवान सद बार, मैं देहदं पिदरे मुर्दारावा दायम आब अर्थात हे पुत्र ! तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को पानी के लिए भी तरसा रहा है। शत शत बार प्रशंसनीय हैं वे 'हिन्दू' जो अपने मृत पूर्वजो को भी पितृपक्ष में पानी देते हैं। जिस औरंगजेब ने सिख गुरुओं, महाराणा प्रताप और राजा सूरजमल जाट के ऊपर अत्याचार किए, यदि 21वीं सदी में उसका महिमा मंडन कर किसी को लगता है कि चंद कट्टरपंथी वोटों की सियासत का बाजार गर्म हो जाएगा, तो उसका वोट बैंक का यह दीवानापन सनकीपन नहीं, बल्कि पागलपन की तरफ जा रहा है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि मुगलों को महान बनाने की गला-काट प्रतिस्पर्धा में यह तथाकथित सेक्युलर दल अपने आप को एक दूसरे से बड़ा मुगले आज़म बताते हुए, पागल-ए-आजम बनने की तरफ जा रहे हैं। सपा और कांग्रेस को बताना होगा कि वह औरंगजेब, जिसकी वंश परंपरा बाबर से शुरू होती है, जिसकी माँ मंगोल और बाप उजबेक था, आज की तारीख में भारत से उसका क्या संबंध है और क्यों नफरत के बीच ये लोग यहां बोना चाह रहे हैं? कांग्रेस और इंडी गठबंधन के लोग सनातन के लिए एचआईवी, कोरोना वायरस जैसे शब्दों का प्रयोग कर, वैश्विक स्तर पर और भारत में हिंदुत्व को खत्म करने की बातें कर अपने आप को बड़ा हिंदू विरोधी साबित करने की प्रतिस्पर्धा में लगे हैं।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को लेकर एक बहुत चिंताजनक और शर्मनाक परिस्थिति सामने आई है। कर्नाटक राज्य के कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि कांग्रेस सरकार में भीषण भ्रष्टाचार हो रहा है। कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता में आने के बाद अपने वायदों को तो पूरा नहीं कर पाई, लेकिन अपने तथाकथित वादों के लिए दलित समाज को आवंटित योजनाओं में से पैसे निकाले और अब भ्रष्टाचार में आकंठ डूबते हुए नजर आ रहे हैं। एक अन्य समाचार मीडिया में आया है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री आवास के सौंदर्यीकरण कार्य बगैर वित्त समिति की अनुशंसा के हो रहा है। अगर कांग्रेस ने वित्त समिति की अनुशंसा ली है, तो उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। अगर नहीं, तो कहीं कांग्रेस दिल्ली में अपने पुराने साझीदार से प्रेरणा लेकर, नियम-कायदों को ताक पर रखकर शीशमहल वाला प्रयोग दोहराने की कोशिश कर रही है? यह प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत होता है।
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