
श्री राजनाथ सिंह 2013-14
बाल्यकाल एवं शिक्षा
उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले (अब चंदौली जिला) की चकिया तहसील के बभोरा गांव में एक कृषक परिवार में श्री रामबदन सिंह और श्रीमती गुजराती देवी के परिवार में 10 जुलाई, 1951 को जन्मे श्री राजनाथ सिंह ने आरंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की। उसके उपरांत उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर की उपाधि ली। वह के. बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश में शिक्षक रहे।
राजनीतिक जीवन
वह मेधावी छात्र थे तथा छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय स्वयंसेवक थे। वह 1972 में मिर्जापुर नगर के संघ कार्यवाह बने। 1969 से 1971 तक वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गोरखपुर मंडल के संगठन मंत्री भी रहे।
उन्होंने 1974 में राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जन संघ के मिर्जापुर के सचिव बन गए। 1975 में वह जन संघ के जिला अध्यक्ष तथा जेपी आंदोलन के जिला संयोजक बनाए गए। 1977 में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक का चुनाव जीता।
1983 में वह उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश सचिव बने और 1984 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई (भाजयुमो) का प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया। 1986 में वे भाजयुमो के महामंत्री हो गए तथा 1988 में उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
1988 में उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य चुना गया और 1991 में वह शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उन्होंने नकल विरोधी कानून लाकर तथा वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल कर तथा इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के विभिन्न अंश सुधारकर कुछ ऐतिहासिक कार्य किए।
1994 में वह राज्य सभा के सदस्य बने तथा राज्य सभा में भाजपा के मुख्य सचेतक भी बनाए गए।
25 मार्च, 1997 को वह उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इस दौरान उन्होंने संगठन को विस्तार देने तथा मजबूत बनाने के साथ-साथ राजनीतिक संकट के समय दो बार भाजपा नीत सरकार को बचाने में मुख्य भूमिका भी निभाई।
22 नवंबर, 1999 को वह केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्हें एनएचडीपी (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम) आरंभ करने का अवसर मिला, जो श्री अटल बिहारी वाजपेयी की पसंदीदा परियोजना थी।
28 अक्टूबर, 2000 को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाराबंकी के हैदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक निर्वाचित हुए। 2002 में वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए।
24 मई, 2003 को वह केंद्रीय कृषि मंत्री तथा बाद में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर तथा कृषि आय बीमा योजना जैसी कुछ युगांतरकारी परियोजनाएं आरंभ कीं।
भाजपा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरे देश की यात्रा की। वह भारत सुरक्षा यात्रा पर भी निकले, जिसमें उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि तथा उनसे आंतरिक सुरक्षा को खतरे का विषय लेकर कई राज्यों का भ्रमण किया। उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, किसानों की पीड़ा तथा संप्रग सरकार द्वारा किए जा रहे अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण जैसे मुद्दों पर जोर दिया। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बेरोजगारी, उसके कारणों तथा समाधानों पर पुस्तक भी लिखी है।
जुलाई 2004 में वह एक बार पुनः भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। महासचिव के रूप में उन्होंने छत्तीसगढ़ तथा झारखंड का दायित्व संभाला और अपनी प्रभार संभाला एवं अपनी अनुकरणीय सांगठनिक क्षमता के द्वारा दोनों राज्यों में भाजपा की विजय सुनिश्चित की।
वह 31 दिसंबर, 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, जो पद उन्होंने 19 दिसंबर, 2009 तक संभाला। मई 2009 में वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सांसद चुने गए। श्री राजनाथ सिंह 23 जनवरी, 2013 को एक बार फिर भाजपा अध्यक्ष चुने गए।
To Write Comment Please लॉगिन