
भ्रष्टाचार के विरुद्ध न्यायसंगत कार्रवाई प्रतिशोध नहीं है
-अरुण जेटली
भ्रष्टाचार के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध कह देना आजकल आम सी बात हो गई है। भ्रष्याचार के मामले में प्रतिशोध की बात कहना कभी भी उसके पक्ष में नहीं जाती है। वो लोग जो भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े मामलो में संलिप्त होते हैं, उन्हें अपने कृत्यों के आइने में अपने को देखना चाहिए।
सभी राज्यों में केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा जन कार्य, सड़क, हाउसिंग, स्कूल, दवाखाने, पंचायात सुविधाएं और अन्य सार्वजनिक बुनियादी ढांचा संबंधित कार्यों के लिए बड़ी राशि दी जाती है। ये कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) ठेकेदारों से करवाता है। इसी तरह मिड डे मील योजनाओं के लिए भी बड़ी राशि दी जाती रही है जिससे गरीब घरों के बच्चे स्कूल जाने के लिए प्रेरित होते हैं। इसी तरह गर्भवती माताओं को पौष्टिक आहार के लिए कई योजनाएं चलती रहती हैं जिनके लिए भी फंड मुहैया कराया जाता है। इस बात के भी अब प्रमाण मिले हैं कि कर्नाटक में जहां जन कल्याण के लिए पीडब्लूडी को दी गई राशि एक राजनीतिक मकसद से इंजीनियरों द्वारा हेराफेरी से वापस कर दी गई। मध्य प्रदेश में तो एक नई संस्थागत व्यवस्था की गई है जिसमें गरीब वर्ग के लोगों के विकास तथा कल्याण के लिए दी गई राशि राजनीति में उड़ेल दी जा रही थी।
अफसोस की बात है कि दोनों राज्यों में से किसी ने भी आरोपों का मेरिट के आधार पर जवाब नहीं दिया। उनके द्वारा एक तर्क दिया जा रहा है कि सिर्फ उन्हें ही क्यों चुना गय़ा है और उनके राजनितिक प्रतिद्वंद्वियों को छोड़ दिया गया है। क्या इस तरह का कोई समानता का अधिकार है कि जब तक प्रतिद्विंद्वियों पर आरोप नहीं लगेंगे तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी? राजस्व विभाग प्राप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई तब करता है जब वह इस बात से आश्वस्त होता है कि उस मामले में सर्च ऑपरेशन का मामला बनता है।
सच्चाई है कि जो राशि समाज के कमज़ोर वर्गों के लिए जैसे गरीब बच्चों या गर्भवती माताओं के लिए दी गई, वह चुराई जा रही है। इससे इस मामले में संलिप्त लोगों की मानसिकता का पता चलता है। वो लोग जो अभावों में जी रहे हैं उन लोगों को भी ये नहीं बख्श रहे हैं । यह भारतीय राजनीति का पाखंड है। इस तरह का अन्याय करने के बाद वे न्याय के बारे में बात करने की धृष्टता कर रहे हैं।
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