कोटि-कोटि आकुल हृदयों में सुलग रही है जो चिंगारी, अमर आग है, अमर आग है - श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी
जन्म-मरण का खेल अनूठा इसमें हार नहीं है, वो क्या चल पाएगा जिसको पथ से प्यार नहीं है: श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी
वह साक्षात्कार जिसमें श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बताया की अगर वह राजनीति में ना होते तो क्या करते और किन कारणों से उनका राजनीति में आना हुआ I
ये परंपरा का प्रवाह है कभी न खंडित होगा, पुत्रों के बल पर ही मां का मस्तक मंडित होगा: श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी
वो भाषण जिसमे दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने वीर सावरकर को तप, त्याग, तेज, तर्क, तीर और तलवार के समतुल्य बताया और कहा कि सावरकर में ऊंचाई भी थी और गहराई भी थी।
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता I त्याग, तेज, तप, बल से रक्षित यह स्वतंत्रता, इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो चिंगारी का खेल बुरा होता है- श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुंवाधार, फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै, यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय, मैं हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय - श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी
अगर हम देशभक्त ना होते और निःस्वार्थ भाव से राजनीति में अपना स्थान बनाने का प्रयास ना करते तो आज यहां ना होते , इन प्रयासों के पीछे हमारी साधना और कड़ी मेहनत हैं I हमारी पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है, चुनाव के समय कुकुरमुत्ते की तरह खड़े होने वाली पार्टी नहीं.
श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर ओजस्वी विचार